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The latest syllabus of UP Board Class 12 has been released. Understanding the syllabus is the first step for Class 12 students because they have to appear for the board's exam. A syllabus will provide a base for students on what chapters and topics to be studied within an academic year. Below we have provided a download PDF for the latest syllabus along with the reduced syllabus of 2023-24 to get an idea of the newly added and deleted topics.
2024-25 Latest Syllabus
2023-24 Syllabus
(for reference purposes only)
भाग-I (प्रबन्ध के सिद्धान्त और कार्य)
खण्ड (क)-प्रबन्ध की प्रकृति एवं महत्व
अवधारणा, प्रबंध की विशेषताएँ, उद्देश्य, महत्व, प्रबंध की प्रकृति, प्रबंध एक कला, प्रबंध एक विज्ञान के रूप में, प्रबंध एक पेशे के रूप में, पेशे की विशेषताएं, प्रबंध के स्तर, प्रबंध के कार्य, समन्वय-प्रबंध का सार है, समन्वय की प्रकृति, समन्वय का महत्व, इक्कीसवीं शताब्दी में प्रबंधन।
खण्ड (ख)-प्रबन्ध के सिद्धान्त
प्रबंध के सिद्धांत-एक अवधारणा, प्रबंध के सिद्धांतों की प्रकृति, प्रबंध के सिद्धांतों का महत्व, वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत, वैज्ञानिक प्रबंध की तकनीक, कार्यात्मक फोरमैनशिप, कार्य का प्रमापीकरण एवं सरलीकरण, कार्य पद्धति अध्ययन, गति अध्ययन, समय अध्ययन, थकान अध्ययन, विभेदात्मक पारिश्रमिक प्रणाली, फेयॉल के प्रबन्ध के सिद्धान्त, समन्वय की परिभाषाएँ, फेयॉल बनाम टेलर तुलना।
खण्ड (ग)-व्यावसायिक पर्यावरण
व्यावसायिक पर्यावरण का अर्थ, व्यावसायिक पर्यावरण का महत्व, पर्यावरण के आयाम, भारत में आर्थिक पर्यावरण, उदारीकरण।, निजीकरण, वैश्वीकरण, विमुद्रीकरण-आशय, विशेषताएँ।
खण्ड (घ)-नियोजन
नियोजन का अर्थ, नियोजन का महत्व, नियोजन की विशेषताएं, नियोजन की सीमाएं, नियोजन प्रक्रिया, नियोजन के प्रकार, योजनाओं के प्रकार-एकल प्रयोग योजना।, स्थायी योजना- उद्देश्य, व्यूह-रचना, नीति, प्रक्रिया, विधि, नियम, कार्यक्रम, बजट।
खण्ड (ङ)-संगठन
अर्थ, संगठन की अवधारणा, संगठन प्रक्रिया में कदम, संगठन का महत्व।,संगठन ढ़ांचा- संगठन ढाँचों के प्रकार, (कार्यात्मक संगठन, प्रभागीय संगठन)। औपचारिक एवं अनौपचारिक संगठन, अंतरण, अधिकार अंतरण के तत्व, अंतरण का महत्व, केंद्रीकरण एवं विकेंद्रीकरण, विकेंद्रीकरण-आशय एवं महत्व।
खण्ड (च)-नियुक्तिकरण
अर्थ, नियुक्तिकरण की आवश्यकता तथा महत्व, नियुक्तिकरण मानव संसाधन प्रबंधन के अंग के रूप में, मानव संसाधन प्रबंध का क्रम विकास, नियुक्तिकरण प्रक्रिया, नियुक्तिकरण के विभिन्न पहलू।, भर्ती-आशय, भर्ती के स्त्रोत, आंतरिक स्त्रोतों के लाभ, आंतरिक स्त्रोत की कमियाँ, बाह्य स्त्रोत, बाह्य स्त्रोत के लाभ, बाह्य स्त्रोत की कमियाँ/सीमाएँ।, चयन-आशय, चयन प्रक्रिया।, प्रशिक्षण तथा विकास, प्रशिक्षण विधियाँ, ऑन द जॉब विधियाँ, ऑफ द जॉब विधियाँ।
खण्ड (छ)-निर्देशन
अर्थ, विशेषताएँ, निर्देशन का महत्व, निर्देशन के सिद्धान्त, निर्देशन के तत्व।, पर्यवेक्षण, पर्यवेक्षण के महत्व।, अभिप्रेरणा-अर्थ, अभिप्रेरणा की प्रक्रिया, अभिप्रेरणा का महत्व।, मास्लो की आवश्यकता-क्रम अभिप्रेरणा का सिद्धांत, वित्तीय तथा गैर वित्तीय प्रोत्साहन, वित्तीय प्रोत्साहन, गैर वित्तीय प्रोत्साहन।, नेतृत्व-आशय, नेतृत्व की विशेषताएँ, नेतृत्व का महत्व, नेतृत्व शैली।, संप्रेषण-आशय, संप्रेषण प्रक्रिया के तत्व, संप्रेषण का महत्व।, औपचारिक तथा अनौपचारिक संप्रेषण।, अंगूरीलता तंत्र, प्रभावी संप्रेषण में बाधाएँ, संकेतिक/संकेतीय बाधाएँ, मनोवैज्ञानिक बाधाएँ, संगठनिक बाधाएँ, व्यक्तिगत बाधाएँ, प्रभावी संप्रेषण के लिये सुधार
खण्ड (ज)-नियन्त्रण
नियंत्रण का अर्थ, नियंत्रण का महत्व, नियंत्रण की सीमाएँ, नियोजन एवं नियंत्रण में संबंध, नियंत्रण प्रक्रिया।
भाग-II (व्यवसाय वित्त एवं विपणन)
खण्ड (क)-व्यावसायिक वित्त
व्यावसायिक वित का अर्थ।, वित्तीय प्रबंध-भूमिका एवं उद्देश्य।, वित्तीय निर्णय।, वित्तीय नियोजन-आशय एवं महत्व।, पूँजी संरचना-आशय एवं पूँजी संरचना को प्रभावित करने वाले कारक, स्थायी एवं कार्यशील पूँजी।, स्थायी एवं कार्यशील पूँजी आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक।
खण्ड (ख)-विपणन
आशय, विशेषताएँ। विपणन प्रबंध-आशय, विपणन की अवधारणाएं, विपणन के कार्य।, विपणन मिश्र एवं तत्व। उत्पाद-आशय एवं वर्गीकरण। ब्राडिंग-आशय, एक अच्छे ब्राण्ड नाम की विशेषताएँ।, पैकेजिंग-आशय, पेकेजिंग के स्तर, पैकेजिंग का महत्व, पैकेजिंग के कार्य।, लेवलिंग-आशय एवं कार्य।, मूल्य निर्धारण- आशय एवं निर्धारक तत्व। भौतिक वितरण-आशय एवं घटक।, प्रवर्तन मिश्र।, विज्ञापन-आशय, विशेषताएं, लाभ, आलोचना। वैयक्तिक विक्रय-आशय, विशेषताएं, लाभ, वैयक्तिक विक्रय की भूमिका (व्यवसायीको लाभ, ग्राहकों के लिये महत्व, समाज के लिये महत्व)। विक्रय संवर्धन-आशय, लाभ, सीमाएं, विक्रय संवर्धन की सामान्य रूप से प्रयोग में आने वाली क्रियाएं।, विज्ञापन एवं वैयक्तिक विक्रय में अन्तर। जनसम्पर्क-आशय, भूमिका, कार्य-प्रचार-आशय एवं विशेषताएं।
खण्ड (ग)-उपभोक्ता संरक्षण
आशय, महत्व, आवश्यकता।, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019-परिचय, उपभोक्ता कौन है, उपभोक्ता अधिकार, उपभोक्ताओं के उत्तरदायित्व, उपभोक्ता संरक्षण के तरीके और साधन, उपभोक्ता, संरक्षण के अन्तर्गत निवारण, अभिकरण अथवा एजेन्सियाँ, (जिला आयोग, राज्य आयोग, राष्ट्रीय आयोग) उपलब्ध राहत, उपभोक्ता संगठनों और गैर सरकारी संगठनों की भूमिका।
भाग-I (प्रबन्ध के सिद्धान्त और कार्य)
<red> खण्ड (ग)-व्यावसायिक पर्यावरण <red>
<red>आशय, विशेषताएँ, महत्व, आयाम। भारत का आर्थिक पर्यावरण- उदारीकरण, निजीकरण, भूमण्डलीकरण। व्यवसाय एवं उद्योगों के परिवर्तन पर सरकारी नीतियों का प्रभाव।<red>
<red>खण्ड (ज)-नियन्त्रण<red>
<red>आशय, महत्व, सीमाएं, नियोजन एवं नियन्त्रण में सम्बन्ध, नियन्त्रण प्रक्रिया, प्रबन्धकीय नियन्त्रण की तकनीकें (परम्परागत एवं आधुनिक), उत्तरदायित्व लेखांकन। प्रबन्ध अंकेक्षण। कार्यक्रम मल्ूयांकन और समीक्षा तकनीकि एवं गम्भीर पथ विधि (PERT and CPM)। प्रबन्ध सूचना प्रणाली<red>
भाग-II (व्यवसाय वित्त एवं विपणन)
<red>खण्ड (ख)-विपणन<red>
<red>आशय, विशेषताएं, विपणन प्रबन्ध, विपणन एवं विक्रय, विपणन की अवधारणाएं, विपणन के कार्य, विपणन की भूमिका। विपणन मिश्र एवं तत्व। उत्पाद- आशय एवं वर्गीकरण। ब्राडिंग- आशय, लाभ, अच्छे ब्राडिंग की विशेषताएं। संवेष्ठन (पैकेजिंग)- आशय, स्तर, महत्व, कार्य। लेवलिंग- आशय एवं कार्य। मूल्य निर्धारण- आशय एवं निर्धारक तत्व। वितरण माध्य एवं कार्य। माध्यों के प्रकार, वितरण माध्य के चयन के निर्धारक तत्व। भौतिक वितरण- आशय एवं घटक। प्रवर्तन, प्रवर्तन मिश्र। विज्ञापन- आशय, विशेषताएं, लाभ सीमाएं, उद्देश्य। वैयक्तिक विक्रय- आशय, विशेषताएं, लाभ, महत्व। विक्रय संवर्धन- आशय, लाभ सीमाएं, विज्ञापन एवं वैयक्तिक विक्रय में अन्तर। प्रचार- आशय एवं विशेषताएं।<red>
<red>उद्यमिता विकास<red>
<red>आशय, विशेषताएं, उद्यमिता की अवधारणाएं, आवश्यकता, उद्यमिता एवं प्रबन्धन के बीच सम्बन्ध, उद्यमियों के आर्थिक विकास से जुड़े कार्य, उद्यमिता विकास की प्रक्रिया, उद्यमिता विकास में व्यक्ति की भूमिका, उद्यमीय उपयुक्तता, उद्यमीय अभिप्रेरणा, उद्यमिता मूल्य एवं दृष्टिकोण।<red>